प्रथ्वी अपनी अंक में लिए घूमती है मुझे। मां के आंचल में छिपा निर्मल हूं। प्रथ्वी अपनी अंक में लिए घूमती है मुझे। मां के आंचल में छिपा निर्मल हूं।
मैं मांगू आसमां और रब से तुझे। तुम मेरी आंखों के अश्क की धारा हो। मैं मांगू आसमां और रब से तुझे। तुम मेरी आंखों के अश्क की धारा हो।
हर घड़ी हर पहर खुद को ढूंढता हूंँ मैं हर अक्श में हर पहर में खुद से पूछता हूंँ मैं। हर घड़ी हर पहर खुद को ढूंढता हूंँ मैं हर अक्श में हर पहर में खुद से पूछता हूं...
मै सरकारी ऑफिस हूं, अब मै लबालब भर गया हूं। मै सरकारी ऑफिस हूं, अब मै लबालब भर गया हूं।
हां मैं थोड़ी ऐसी हूँ, तुम जैसा सोचो मैं वैसी हूँ! हां मैं थोड़ी ऐसी हूँ, तुम जैसा सोचो मैं वैसी हूँ!
कुछ ऐसा ही है प्रेम हमारा , तुम मेरे नहीं , मैं फिर भी तुम्हारा। कुछ ऐसा ही है प्रेम हमारा , तुम मेरे नहीं , मैं फिर भी तुम्हारा।